मियावाकी पद्धति से हरित आवरण बढ़ाने का वन महोत्सव
| कार्यक्रम | वन महोत्सव कार्यक्रम | | --- | --- | | आयोजक | छत्तीसगढ़ वन विभाग | | स्थान | मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिला | | तकनीक | मियावाकी पद्धति | | रोपे गए पौधों की संख्या | 6,000 | | मुख्य उद्देश्य | शहरी हीट आइलैंड और प्रदूषण को कम करना | | मियावाकी पद्धति का विवरण | - 1970 के दशक में जापानी वनस्पति विज्ञानी अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित<br>- प्रति वर्ग मीटर में 2-4 प्रकार के स्थानीय पेड़ लगाए जाते हैं<br>- पेड़ तीन साल के भीतर स्वयं संचालित हो जाते हैं और पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं<br>- उपयोग किए गए पौधे ज्यादातर स्वयं संचालित होते हैं और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है | | महत्व | - घने हरे आवरण से धूल कणों का अवशोषण होता है और सतह का तापमान नियंत्रित होता है<br>- सामान्य स्थानीय पौधों में अंजन, आमला, बेल, अर्जुन और गुंज शामिल हैं<br>- नई जैव विविधता को प्रोत्साहित करता है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है |

