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2024-25 का केंद्रीय बजट: शिक्षा और कल्याण के लिए छूटा अवसर

2024-25 का केंद्रीय बजट: शिक्षा और कल्याण के लिए छूटा अवसर
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2024-25 का केंद्रीय बजट: शिक्षा और कल्याण के लिए छूटा अवसर

| पहलू | विवरण | |--------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | बजट पेश करने वाला | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन | | अवसर | केंद्रीय बजट 2024-25 | | सरकार | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार, तीसरा कार्यकाल | | आर्थिक दृष्टिकोण | विकसित भारत 2047 पर ध्यान केंद्रित करना, जिसमें निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि पर जोर दिया गया है | | रोजगार पहल | 1. रोजगार सब्सिडी: ₹1 लाख/माह तक कमाने वाले नए कर्मचारियों के लिए ₹15,000 तीन किश्तों में। <br>2. सरकार दो साल तक पीएफ में ₹3,000/माह का योगदान करेगी। <br>3. विदेशी कंपनियों के लिए कौशल विकास योजनाएं और कर छूट। | | कृषि पहल | 1. उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक कार्यक्रम। <br>2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को संबोधित नहीं किया गया। | | एनडीए की निराशाएं | कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय समर्थन का अभाव। बिहार में जद(यू) और आंध्र प्रदेश में टीडीपी को वादा किया गया वित्तीय समर्थन नहीं मिला। | | अनदेखी कल्याण योजनाएं| 1. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम: आवंटन 2023-24 से अपरिवर्तित। <br>2. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम: आवंटन 2023-24 से अपरिवर्तित। | | राजकोषीय समेकन | राजकोषीय घाटा 2023-24 में जीडीपी के 4.9% से घटकर 2024-25 में 4.5% होने का अनुमान है। | | पूंजीगत व्यय | 2022-23 में ₹7,40,025 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹9,48,506 करोड़ और 2024-25 में ₹11,11,111 करोड़ हो गया। | | राजस्व स्रोत | भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों से लाभांश और अधिशेष पर निर्भरता। |

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