इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क से सम्बंधित मामला
- केंद्र सरकार ने एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत देश में EV विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को बहुत कम सीमा शुल्क पर वाहनों के सीमित आयात की अनुमति दी जाएगी।
मुख्य बिंदु
- वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने का संकल्प लिया।
- इसके लिए परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों से उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता है।
- इसे प्राप्त करने के लिए, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर बदलाव महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से दोपहिया और तिपहिया वाहन जो भारतीय सड़कों पर हावी हैं।
- उपलब्ध मॉडलों में वृद्धि, महंगे पारंपरिक ईंधन, सरकारी सब्सिडी और FAME-II कार्यक्रम के कारण भारत में EV की बिक्री बढ़ रही है।
- यह कार्यक्रम इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।
सरकार EV को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त कदम उठा रही है:
- बैटरी स्वैपिंग नीति: यह ख़त्म हो चुकी बैटरियों को चार्ज की गई बैटरियों से बदलने की अनुमति देता है, जिससे चार्जिंग डाउनटाइम कम हो जाता है।
- सब्सिडी: सरकार की वित्तीय सहायता से EV की अग्रिम लागत कम हो जाती है।
- ई-अमृत पोर्टल: यह ऑनलाइन संसाधन EV में सुचारु परिवर्तन के लिए जानकारी प्रदान करता है।
- टैक्स राहत के साथ नई EV नीति: इस नीति का उद्देश्य वैश्विक निर्माताओं को भारत में आकर्षित करना, घरेलू उत्पादन और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है, इससे लागत कम होगी, तेल आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वच्छ हवा मिलेगी।
- नई नीति में न्यूनतम निवेश की आवश्यकता है और EV निर्माताओं के लिए घरेलू मूल्य संवर्धन लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
- इस योजना के तहत शुल्क-मुक्त आयात पर भी सीमाएँ हैं।

