WHO ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी पारंपरिक चिकित्सा रुग्णता कोड का शुभारंभ किया
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और आयुष मंत्रालय नई दिल्ली में ICD 11 TM मॉड्यूल 2, मॉर्बिडिटी कोड कार्यक्रम लॉन्च करने के लिए तैयार हैं।
- इस पहल का उद्देश्य आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों पर आधारित रोगों से संबंधित डेटा और शब्दावली को WHO की अंतर्राष्ट्रीय रोगों के वर्गीकरण (ICD) श्रृंखला में एकीकृत करना है।
मुख्य विकास
ASU चिकित्सा में वैश्विक एकरूपता
- वैश्विक एकरूपता के लिए ICD-11 में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी आंकड़ों को शामिल करना।
- ASU चिकित्सा में रोगों को परिभाषित करने के लिए शब्दावली की एक सार्वभौमिक संहिता की स्थापना करना।
CBHI की भूमिका और आयुष संहिता विकास
- स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य खुफिया ब्यूरो (CBHI), ICD गतिविधियों के लिए WHO सहयोग केंद्र है।
- आयुष मंत्रालय ने NAMSTE पोर्टल के माध्यम से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा कोड विकसित किए।
दाता समझौता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ बनाना:
- आयुष मंत्रालय ने WHO के साथ एक डोनर समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- इस सहयोग का उद्देश्य भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा वितरण, अनुसंधान, आयुष बीमा कवरेज और नीति-निर्माण प्रणालियों को बढ़ाना है।
पारंपरिक चिकित्सा रोगों का समावेश
- बीमारियों को नियंत्रित करने और भविष्य की रणनीति तैयार करने में उपयोग किए जाने वाले कोड।
- अन्य WHO सदस्य देश भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाने की इच्छा व्यक्त करते हैं।
रोग वर्गीकरण के उदाहरण
- पारंपरिक बीमारियाँ जैसे संक्रामक रोग (जैसे, मलेरिया) और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ (जैसे, पुरानी अनिद्रा) शामिल हैं।
- वर्टिगो गाइडेंस डिसऑर्डर जैसे विकारों के लिए आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी से विशिष्ट उदाहरण।
प्रीलिम्स टेकअवे
- पारंपरिक बीमारियाँ
- WHO

