भारत ने गंगा डॉल्फिन की सुरक्षा के लिए पहला राष्ट्रीय शोध केंद्र शुरू किया
| पहलू | विवरण | |---------------------------|--------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | भारत के पहले राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC) का उद्घाटन | | स्थान | पटना, बिहार | | उद्देश्य | गंगा डॉल्फिन (सूसू) का अध्ययन और संरक्षण | | महत्व | एशिया में अपनी तरह का पहला केंद्र; लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन और उनके आवास को सुरक्षित करने के लिए समर्पित | | गंगा डॉल्फिन के बारे में| - भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव <br> - गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और करनफुली-सांगु नदी प्रणालियों में पाई जाती है <br> - अंधी; शिकार के लिए इकोलोकेशन का उपयोग करती है | | संरक्षण स्थिति | - लुप्तप्राय (IUCN) <br> - वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I <br> - CITES की परिशिष्ट I | | मुख्य विशेषताएँ | - स्थानीय रूप से सूसू के नाम से जानी जाती है <br> - अकेली या छोटे समूहों में रहती है <br> - मादाएँ नर से बड़ी होती हैं <br> - हर 2-3 साल में एक बार प्रजनन करती हैं | | संरक्षण पहल | - प्रोजेक्ट डॉल्फिन (2021) <br> - विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य (बिहार) <br> - राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस (5 अक्टूबर) <br> - डॉल्फिन संरक्षण के लिए कार्य योजना (2022-2047) |

