राजस्थान में प्राचीन व्यापार के साक्ष्य: डार्क एज के सिक्के
| पहलू | विवरण | |-------------------------------------|-----------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | राजस्थान में डार्क एज के सिक्के प्रकाश में आए | | समय अवधि | 600 ईसा पूर्व - 1000 ईसा पूर्व | | महत्व | सिंधु घाटी सभ्यता के पतन और भगवान बुद्ध के युग (1900 ईसा पूर्व - 600 ईसा पूर्व) के बीच के अंधकार युग की जानकारी प्रदान करता है। | | प्रमुख खोजें | राजस्थान में पंच-मार्क सिक्के मिले, जिनमें आहर (उदयपुर), कालीबंगा (हनुमानगढ़), विराटनगर (जयपुर), और जानकीपुरा (टोंक) शामिल हैं। | | सिक्के का विवरण | चांदी और तांबे से बने सिक्के, जिनका वजन 3.3 ग्राम है, और जिन पर सूर्य, षड्चक्र और पर्वत/मेरु जैसे प्रतीक हैं। | | प्रमुख निष्कर्ष | टोंक में 3,300 सिक्के (1935), सीकर में 2,400 सिक्के (1998), और महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पेशावर जैसे उपकरण मिले। | | ऐतिहासिक दस्तावेज़ | चीनी यात्री फा-हियन (399-414 ईस्वी), सुंगयान (518 ईस्वी), और ह्वेन-त्सांग (629 ईस्वी) ने राजस्थान में खंडहरों का वर्णन किया। | | व्यापार एवं सांस्कृतिक संबंध | राजस्थान का व्यापार इतिहास सिल्क रूट के समान है, जहां गुप्त वंश, मालव और जनपद के सिक्के मिले हैं। | | खजाने का संग्रह | राजस्थान पुरातत्व विभाग के पास 2.21 लाख से अधिक प्राचीन सिक्के हैं, जिनमें 7,180 पंच-मार्क सिक्के शामिल हैं। | | सिंधु घाटी सभ्यता | 2,500 ईसा पूर्व में फली-फूली, 1800 ईसा पूर्व में जलवायु परिवर्तन और प्रवास के कारण पतन हुआ। 1920 के दशक में जॉन मार्शल द्वारा खोजी गई। | | सिंधु घाटी के प्रमुख स्थल | मोहनजो-दारो और हड़प्पा प्रमुख शहर थे। हड़प्पा सभ्यता का नाम इसी से जुड़ा है। |

