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बिरहोर जनजाति ने बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया

बिरहोर जनजाति ने बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया
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बिरहोर जनजाति ने बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया

| विषय | विवरण | |-----------|-------------| | घटना | बिरहोर जनजाति ने बाल विवाह के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हो गई | | स्थान | झारखंड, भारत (विशेष रूप से गिरिडीह जिला) | | जनजाति | बिरहोर, एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTG) | | समुदाय की विशेषताएँ | - अर्ध-खानाबदोश <br> - वन-निर्भर <br> - आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित <br> - दो समूहों में विभाजित: उथलु (घुमंतू) और जांघी (बसे हुए) | | शारीरिक बनावट | छोटे कद, लंबे सिर, घुंघराले बाल, चौड़ी नाक | | भाषा | संताली, मुंडारी और हो भाषाओं के समान | | धर्म | आदिवासी धर्म और हिंदू धर्म का मिश्रण (सूर्य देवता, लुगु बुरु और बुधिमाई) | | अर्थव्यवस्था | शिकार, संग्रहण और लता रेशे से रस्सी बनाने पर आधारित आदिम जीविका; कुछ कृषि भी करते हैं | | पहल | पहली बार बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन में भागीदारी | | जागरूकता अभियान | जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस (JRC) और बनवासी विकास आश्रम द्वारा आयोजित | | सरकारी अभियान | केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का हिस्सा | | मुख्य गतिविधियाँ | - मोमबत्ती जलाकर सभा <br> - बाल विवाह समाप्त करने का सामूहिक संकल्प <br> - बाल विवाह के कानूनी और सामाजिक परिणामों पर चर्चा | | प्रभाव | JRC ने अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच झारखंड में 7,000 से अधिक बाल विवाह रोकने का दावा किया | | उच्च प्रसार वाले जिले | जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, कोडरमा और दुमका |

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