भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सर्वशक्ति शुरू किया
- भारतीय सेना ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में ऑपरेशन सर्वशक्ति शुरू किया है।
- पीर पंजाल रेंज पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसका उद्देश्य सुरक्षा बलों पर हाल के हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को निशाना बनाना है।
- यह वर्ष 2003 में चलाए गए ऐतिहासिक ऑपरेशन सर्पविनाश की याद दिलाता है, जिसने इसी तरह की चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया था।
पृष्ठभूमि
- हाल के वर्षों में, राजौरी-पुंछ सेक्टर में सुरक्षा बलों पर कई हमले हुए हैं, जिसमें 20 सैनिकों की जान चली गई।
- माना जाता है कि इस क्षेत्र में सक्रिय अधिकांश आतंकवादी विदेशी हैं।
- ऑपरेशन सर्वशक्ति, अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करके, आतंकवादियों के साथ संपर्क की संभावना को बढ़ाने और क्षेत्र में सुरक्षा बहाल करने का प्रयास करता है।
ऑपरेशन सर्पविनाश
- वर्ष 2003 में शुरू किया गया ऑपरेशन सर्पविनाश, उस समय जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकवाद विरोधी अभियान था।
- इसका ध्यान पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में घने जंगलों पर केंद्रित था, खासकर पुंछ में हिलकाका क्षेत्र में।
- लगभग 10,000 सैनिकों को शामिल करते हुए, तीन महीने तक चले ऑपरेशन में घुसपैठ कर शिविर स्थापित करने वाले आतंकवादियों को निशाना बनाया गया।
- ऑपरेशन के परिणामस्वरूप लगभग 100 आतंकवादियों का सफाया हुआ, हथियार, विस्फोटक और आपूर्ति की बरामदगी हुई और कई ठिकाने ध्वस्त हो गए।
हिलकाका क्षेत्र का महत्व
- पीर पंजाल रेंज से निकटता के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिलकाका क्षेत्र, नियंत्रण रेखा के पार से कश्मीर घाटी में घुसपैठियों के लिए एक प्रमुख मार्ग के रूप में कार्य करता है।
- आतंकवादियों ने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर सुरक्षित शिविर, बंकर और संचार नेटवर्क बनाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया।
क्षेत्र का सामरिक महत्व
- मेंढर के दक्षिण में हिलकाका के माध्यम से पीर पंजाल रेंज तक जाने वाले क्षेत्र घुसपैठियों के लिए सबसे छोटे मार्गों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- घने जंगलों और खड़ी पहाड़ी ढलानों ने आतंकवादियों को आश्रय प्रदान किया, जिससे वे भारतीय सेना की तलाशी के दौरान जंगलों में घुल-मिल गए और लोगों को हताहत करने में सक्षम हुए।
ऑपरेशन सर्पविनाश का परिणाम
- ऑपरेशन सर्पविनाश ने सफलतापूर्वक क्षेत्र से आतंकवादियों का सफाया कर दिया, जिससे वर्ष 2017-18 तक शांति सुनिश्चित हुई।
- हालाँकि, हाल के वर्षों में इस रणनीतिक क्षेत्र में उच्च तीव्रता वाले हमलों में पुनरुत्थान देखा गया है, जिससे ऑपरेशन सर्वशक्ति की शुरुआत हुई है।

