| पहलू | विवरण | |---------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटनाक्रम | केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति - 2025 का अनावरण किया। | | उद्देश्य | भारत के सहकारी आंदोलन को फिर से परिभाषित और पुनर्जीवित करना, 'सहकार से समृद्धि' के लक्ष्य को प्राप्त करना और इसे 2047 तक राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन बनाना। | | पृष्ठभूमि | भारत की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के अधीन शुरू की गई थी। सहकारिता मंत्रालय का गठन 2021 में किया गया था, और श्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में 40 सदस्यीय मसौदा समिति ने नई नीति तैयार की। | | महत्व | 2034 तक सकल घरेलू उत्पाद में सहकारी क्षेत्र के योगदान को तीन गुना करना, 50 करोड़ नागरिकों को सक्रिय भागीदारी में लाना, रोजगार सृजित करना, ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटना और हाशिए पर स्थित समूहों को सशक्त बनाना। | | प्रमुख उद्देश्य | समावेशी विकास, रोजगार सृजन, क्षेत्रीय विस्तार (जैसे, पर्यटन, टैक्सी सेवाएं, बीमा), संस्थागत सुदृढ़ीकरण, और व्यापक कवरेज (प्रति गांव एक सहकारी)। | | मुख्य विशेषताएं | जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण (प्रति पंचायत एक सहकारी), युवा-केंद्रित और तकनीक-सक्षम सहकारी समितियां (जैसे, सहकार टैक्सी, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय), क्षेत्रीय विविधीकरण, मजबूत निगरानी और संस्थागत समर्थन। | | संस्थागत समर्थन | नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड की स्थापना, अनुसूचित सहकारी बैंकों के लिए समान व्यवहार और "सहकारिताओं के बीच सहयोग" को बढ़ावा देना। | | विधायन | नीति की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए हर 10 साल में कानूनी संशोधन, 83 हस्तक्षेप बिंदुओं की पहचान की गई (58 पूरे हुए, 3 पूरी तरह से लागू, अन्य प्रगति पर)। |

