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राजस्थान के सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में जंगल की आग का खतरा

राजस्थान के सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में जंगल की आग का खतरा
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राजस्थान के सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में जंगल की आग का खतरा

| श्रेणी | विवरण | |---------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | राजस्थान के सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में जंगल की आग | | स्थान | अरावली पर्वत श्रृंखला, उदयपुर जिला, राजस्थान | | क्षेत्रफल | 5.19 वर्ग किलोमीटर | | मुख्य विशेषता | सुरक्षा के लिए बनाई गई किशन पोल (चट्टानी दीवार) | | वन्यजीव | चीतल, तेंदुआ, नीलगाय, सियार, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, सांभर, पक्षी, सरीसृप | | जीयन झील | इसे टाइगर झील या बारी झील भी कहा जाता है; महाराणा राज सिंह द्वारा 1664 में बनाई गई | | झील का क्षेत्रफल | 1.25 वर्ग मील | | जल क्षमता | 400 मिलियन घन फीट | | ऐतिहासिक महत्व | Sajjangarh Palace (मानसून पैलेस) का हिस्सा; 1884 में बनाया गया; महाराणा सज्जन सिंह के नाम पर | | अभयारण्य की स्थापना | 1987 | | अरावली पर्वत श्रृंखला| गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई है; लंबाई 692 किमी; चौड़ाई 10 से 120 किमी | | राजस्थान में अरावली | श्रृंखला का 80% हिस्सा; संभर सिरोही और संभर खेत्री श्रृंखलाओं में विभाजित; 560 किमी तक फैली हुई | | पारिस्थितिकी की भूमिका| प्राकृतिक हरित दीवार के रूप में कार्य करता है; थार मरुस्थल और गंगा के मैदान के बीच पारिस्थितिकी | | सबसे ऊँची चोटी | गुरुशिखर, राजस्थान; ऊँचाई 1,722 मीटर |

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