उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण
| पहलू | विवरण | |---------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------------| | खबरों में क्यों? | उत्तर प्रदेश ने दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करने की योजना बनाई है। | | राज्य | उत्तर प्रदेश | | राजधानी | लखनऊ | | मुख्यमंत्री | योगी आदित्यनाथ | | राज्यपाल | आनंदीबेन पटेल | | निजीकरण के लिए कंपनियाँ| दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम | | उद्देश्य | सेवा की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार करना तथा बिजली के वितरण में होने वाले नुकसान को कम करना। | | टेंडर जारी | 12 जनवरी, 2025 को निजीकरण या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के लिए सलाहकारों की नियुक्ति हेतु। | | राजनीतिक प्रतिक्रिया | विपक्षी दल (जैसे समाजवादी पार्टी) ने इस कदम की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने बढ़े हुए टैरिफ और नौकरियों के नुकसान की चिंता जताई है। | | तुलनात्मक संदर्भ | दिल्ली और ओडिशा में भी ऐसे ही निजीकरण प्रयास सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के साथ किए गए हैं। | | मुख्य चिंताएँ | संभावित नौकरियों का नुकसान, बिजली की कीमतों में वृद्धि और भ्रष्टाचार का खतरा। |

