| श्रेणी | जानकारी | |----------------------------|-------------| | कार्यक्रम | सीधे बोए गए चावल (डीएसआर) कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान - दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) में किया गया। | | मुख्य उद्देश्य | उत्तर प्रदेश और उससे आगे जलवायु-स्मार्ट, लचीली कृषि पर चर्चा करने के लिए नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के नेताओं के लिए मंच। | | वैश्विक खाद्य टोकरी विज़न | उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक खाद्य टोकरी बनना है, जो उसके $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के अनुरूप है। | | कृषि उत्पादन | उत्तर प्रदेश भारत के कुल खाद्य उत्पादन का 21% योगदान करता है, जबकि इसके पास कृषि योग्य क्षेत्र का केवल 11% है। | | हालिया विकास | पिछले आठ वर्षों में कृषि-खाद्य उत्पादन में पांच गुना वृद्धि हुई है (अनाज, दालें, तिलहन, सब्जियां)। | | प्रमुख पहलें | मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा, किसान सम्मान निधि योजना से प्रतिवर्ष 10 करोड़ किसानों को लाभ। | | अनुसंधान और शिक्षा | चार कृषि विश्वविद्यालय (एक और योजनाबद्ध) अनुसंधान और ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। | | पारंपरिक फसलें | कालानमक चावल (एक जिला एक उत्पाद के तहत) का ऐतिहासिक महत्व है, जो भगवान बुद्ध से जुड़ा है। | | नए लॉन्च | कृषि ज्ञान उत्पाद, मशीनीकरण नवाचार, और मिनी किट किसानों को वितरित किए गए। | | अंतर्राष्ट्रीय सहयोग | उन्नत तकनीकों का उपयोग करके खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए सीजीआईएआर, आईआरआरआई और सीआईपी के साथ साझेदारी। |

