प्रयागराज में उत्तर प्रदेश का पहला बायो-सीएनजी संयंत्र
| पहलू | विवरण | |--------------------------|-----------------------------------------------------------------------------| | घटना | उत्तर प्रदेश का पहला बायो-सीएनजी संयंत्र | | स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश | | महत्व | उत्तर प्रदेश में पहला, भारत में दूसरा | | मुख्य विशेषताएं | - बायो-सीएनजी का उत्पादन: पुआल, पोल्ट्री कचरा, गोबर और गीले कचरे से | | | - दैनिक उत्पादन: 21.5 टन बायो-सीएनजी, 200 टन जैविक खाद, 30 मीट्रिक टन ब्रिकेट्स | | | - सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर संचालित | | | - पाइपलाइन अडानी गैस लिमिटेड द्वारा बिछाई गई | | | - कचरा निपटान पर प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपये की बचत | | | - शहर के एक-तिहाई कचरे का उपयोग | | उद्देश्य | - कचरा प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना | | | - नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना | | | - पर्यावरण प्रदूषण को कम करना (जैसे पराली जलाना) | | | - शहरी गैस आपूर्ति को सुलभ और सस्ता बनाना | | बायो-सीएनजी के बारे में | - इसे 'बायोमीथेन' भी कहा जाता है | | | - नवीकरणीय और स्वच्छ जलने वाला परिवहन ईंधन | | | - जैविक कचरे से उत्पादित: कृषि कचरा, खाद्य कचरा, सीवेज कीचड़ |

