सद्भावना सम्मेलन और गंगा नदी की स्थिति
| पहलू | विवरण | |----------------------------|---------------------------------------------------------------------------| | आयोजन | सद्भावना सम्मेलन | | स्थान | हर की पौड़ी, हरिद्वार, उत्तराखंड | | आयोजक | उत्तराखंड पर्यटन मंत्री | | अवधि | दो दिवसीय कार्यक्रम | | उद्देश्य | आध्यात्मिकता और हिंदुओं के लिए गंगा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना | | मुख्य उपस्थित लोग | हजारों लोग | | गंगा का महत्व | • भारत में 2,600 किमी तक बहती है | | | • भारत की 1.4 अरब की आबादी के लिए 40% पीने का पानी प्रदान करती है | | | • हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व | | प्रदूषण के आंकड़े | • प्रतिदिन 30 लाख लीटर गंदा पानी छोड़ा जाता है; 50% का उपचार किया जाता है | | | • वाराणसी के तटों पर प्रतिदिन 4,000 शव जलाए जाते हैं | | | • बांधों के कारण गर्मियों में नदी का प्रवाह कम हो जाता है | | | • 70% निगरानी स्टेशनों पर फीकल कोलीफॉर्म अनुमेय स्तर से ऊपर है | | जलविद्युत परियोजनाएं | • ज्यादातर रन-ऑफ-द-रिवर (ROR) | | • तेहरी बांध परियोजना एक स्टोरेज परियोजना है | | नमामि गंगे कार्यक्रम | • जून 2014 में एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया गया | | • जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित होता है | | • एनएमसीजी और एसपीएमजी द्वारा कार्यान्वित किया जाता है | | • चरण 2 (2021-26): परियोजनाओं के पूरा होने और नदियों के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित | | • आर्द्रभूमि पुनरुद्धार और उपचारित पानी के पुन: उपयोग पर जोर | | वर्तमान पहल | • 2024 तक गंगा में प्रदूषण भार को कम किया गया है | | • प्रदूषित खंडों का पुनरुद्धार ताकि स्नान के मानकों को पूरा किया जा सके |

