अजमेर में फॉय सागर झील का नाम बदलकर वरुण सागर
| पहलू | विवरण | |--------------------------|---------------------------------------------------------------------------| | समाचार घटना | राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा फोय सागर झील का नाम बदलकर वरुण सागर करना। | | स्थान | अजमेर जिला, राजस्थान। | | मूल नाम | फोय सागर झील। | | नया नाम | वरुण सागर। | | नाम बदलने का कारण | गुलामी का प्रतीक; वरुण देवता सभी समुदायों, जिनमें सिंधी भी शामिल हैं, द्वारा पूज्य हैं। | | झील का प्रकार | कृत्रिम झील। | | निर्माण वर्ष | 1891-1892। | | निर्माण का उद्देश्य | बाढ़ और अकाल राहत परियोजना। | | इंजीनियर | फोय, ब्रिटिश राज के एक अंग्रेज इंजीनियर। | | महत्व | राजस्थान की दूसरी अकाल राहत झील। | | संबंधित झील | राजसमंद झील (राजसमुद्र झील)। | | राजसमंद निर्माण | 1662-1676 में महाराणा राज सिंह द्वारा। | | राजसमंद स्थान | गोमती, केलवा और ताली नदियों पर। | | राजसमंद विशेषताएं | 4 मील लंबी, 1.7 मील चौड़ी, 60 फीट गहरी; इसमें नौचौकी और घाट शामिल हैं। | | राजसमंद महत्व | राजस्थान की सबसे पुरानी अकाल राहत परियोजना; इसमें दुनिया का सबसे लंबा संस्कृत शिलालेख है। |

