राजस्थान में ओरणों को वन घोषित किया
| पहलू | विवरण | |-----------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------| | सुप्रीम कोर्ट का निर्देश | राजस्थान को पवित्र उपवनों (ओरांस, देव-वन्स, रुंध्स) की पहचान करने और उन्हें वन भूमि के रूप में सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया। | | राजस्थान सरकार की कार्रवाई | ओरांस को मान्यता प्राप्त वन (डीम्ड फॉरेस्ट) के रूप में अधिसूचित किया। | | ओरांस का महत्व | राजस्थान में सामुदायिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा, परंपरागत रूप से पवित्र और समुदायों द्वारा प्रबंधित। | | ओरांस के उपयोग | पशुओं के लिए चरागाह, सामाजिक कार्यक्रम, त्योहार और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) जैसी विलुप्तप्राय प्रजातियों का आवास। | | वन संरक्षण अधिनियम (FCA), 1980 | वन भूमि को गैर-वन भूमि में बदलने के लिए केंद्र की मंजूरी आवश्यक है। | | संशोधित FCA | राज्य सरकारें अब मान्यता प्राप्त, अवर्गीकृत और निजी वनों को साफ कर सकती हैं। | | सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश | 1996 के गोदावर्मन मामले के आधार पर मान्यता प्राप्त वनों की सुरक्षा पर जोर दिया। | | ओरांस की विशेषताएं | खेजड़ी (Prosopis cineraria) और रोहेड़ा (Tecomella undulata) जैसे स्वदेशी पेड़ शामिल हैं। |

