उत्तर प्रदेश में देश का पहला टेक्सटाइल मशीन पार्क
| श्रेणी | विवरण | |-----------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | आयोजन | देश का पहला टेक्सटाइल मशीन पार्क | | स्थान | चापरघाटा गांव, भोंगांव क्षेत्र, कानपुर, उत्तर प्रदेश | | क्षेत्रफल | 875 एकड़ | | मॉडल | सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) | | उद्देश्य | आयात पर निर्भरता कम करना, मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना, टेक्सटाइल मशीनों के स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहित करना | | मुख्य विशेषताएं | - 200+ बड़ी और मध्यम इकाइयां स्थापित की जाएंगी<br>- 1.5 लाख नौकरियां सृजित होंगी<br>- 30,000 करोड़ रुपये का निर्यात होने की उम्मीद<br>- मशीनों की लागत में 40% की कमी<br>- तकनीशियनों के लिए स्थानीय प्रशिक्षण | | निर्मित होने वाली मशीनें | सर्कुलर निटिंग मशीनें, फ्लैट निटिंग मशीनें, डाइंग मशीनें, प्रिंटिंग मशीनें, सिलाई मशीनें, पेशेंट गाउन मशीनें, टेक्निकल टेक्सटाइल मशीनें | | वर्तमान आयात स्रोत | चीन, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ताइवान, यूरोप | | उत्तर प्रदेश का टेक्सटाइल क्षेत्र | - बनारसी सिल्क, चिकनकारी, हथकरघा, पावरलूम के लिए प्रसिद्ध<br>- टेक्सटाइल और एपेरल पॉलिसी-2022 का उद्देश्य उद्योग को मजबूत करना<br>- 10 नए टेक्सटाइल पार्क 10 जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं | | भारत का टेक्सटाइल बाजार | 2030 तक 350 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद | | मेक इन इंडिया पहल | - 2014 में शुरू की गई, DPIIT द्वारा<br>- उद्देश्य: विनिर्माण क्षेत्र की वार्षिक विकास दर 12-14% तक बढ़ाना<br>- जीडीपी में विनिर्माण की हिस्सेदारी 2022 तक 25% करना<br>- 100 मिलियन नौकरियां सृजित करना |

