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राष्ट्रीय प्रेस दिवस: लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका
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राष्ट्रीय प्रेस दिवस: लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका

| क्र. सं. | विवरण | जानकारी | |--------------|--------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | 1. | खबरों में क्यों? | राष्ट्रीय प्रेस दिवस प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को भारतीय प्रेस परिषद (PCI) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो 1966 में हुई थी। यह दिन लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका और नैतिक पत्रकारिता को उजागर करता है। | | 2. | कब शुरू हुआ | 1966 (भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना) | | 3. | थीम | प्रेस की बदलती प्रकृति (2024) | | 4. | संस्करण | 58वां संस्करण (1966 से) | | 5. | उद्देश्य | भारतीय प्रेस परिषद के गठन को याद करना और लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की भूमिका को उजागर करना। | | 6. | महत्व | प्रेस की स्वतंत्रता, नैतिक पत्रकारिता को बढ़ावा देना और मीडिया पेशेवरों को सम्मानित करना। लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को मजबूत करने में प्रेस की भूमिका पर जोर देना। | | 7. | PCI की स्थापना | 1966 में गठित, 1978 के प्रेस परिषद अधिनियम के तहत पुनर्स्थापित। प्रेस की स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में कार्य करता है और नैतिक पत्रकारिता प्रथाओं को सुनिश्चित करता है। | | 8. | चुनौतियाँ | नैतिक चुनौतियाँ (फेक न्यूज़, सनसनीखेज़ता), सेंसरशिप, पत्रकारों को धमकी और पारंपरिक मीडिया पर आर्थिक दबाव। | | 9. | उत्सव | पैनल चर्चाएँ, कार्यशालाएँ, सेमिनार, पत्रकारों के लिए पुरस्कार और सम्मान। | | 10. | मुख्य व्यक्ति (2024) | माननीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, डॉ. एल. मुरुगन (राज्य मंत्री), पद्म भूषण श्री कुंडल रमनलाल व्यास, सुश्री जस्टिस रंजना प्रकाश देशाई (PCI अध्यक्ष)। | | 11. | स्थिर तथ्य | स्थापना: 4 जुलाई, 1966। मुख्यालय: नई दिल्ली। जस्टिस रंजना प्रकाश देशाई भारतीय प्रेस परिषद की वर्तमान अध्यक्ष हैं। |

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