राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर: प्राचीन समुद्री विरासत की ओर
| श्रेणी | विवरण | |-------------------------|------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | परियोजना का नाम | राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) | | स्थान | लोथल, गुजरात | | मंजूरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित | | उद्देश्य | भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करना | | चरण | - चरण 1ए: निर्माणाधीन (60% पूर्ण), 2025 तक पूरा होने की उम्मीद | | | - चरण 1बी: लाइटहाउस संग्रहालय, थीमैटिक प्रदर्शनियां, शोध केंद्र और गैलरी शामिल | | | - चरण 2: भूमि उपपट्टा या पीपीपी मॉडल के माध्यम से और विकास | | मास्टर प्लान | एम/एस आर्किटेक्ट हफीज कंट्राक्टर द्वारा डिजाइन किया गया | | निर्माण | टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है | | वित्तपोषण | - चरण 1बी का वित्तपोषण लाइटहाउस और लाइटशिप्स महानिदेशालय (DGLL) द्वारा | | | - चरण 2 के लिए स्वैच्छिक योगदान और पीपीपी मॉडल के माध्यम से अतिरिक्त वित्तपोषण | | शासी निकाय | सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 के तहत एक अलग सोसायटी, जिसकी अध्यक्षता बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री करेंगे | | आर्थिक प्रभाव | - 22,000 रोजगार (15,000 प्रत्यक्ष और 7,000 अप्रत्यक्ष) | | | - पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और शैक्षणिक संस्थानों को बढ़ावा | | ऐतिहासिक संदर्भ | लोथल सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान एक प्रमुख समुद्री केंद्र था, जो अपने अच्छी तरह से डिजाइन किए गए डॉकयार्ड के लिए जाना जाता है | | विज़न | भारत को समुद्री अनुसंधान, संरक्षण और शिक्षा के लिए वैश्विक केंद्र बनाना |

