मणिपुर HC ने मैतेई की ST मांग पर दिए गए आदेश का हिस्सा हटाया
- मणिपुर उच्च न्यायालय की एक पीठ ने अपने 27 मार्च, 2023 के आदेश को संशोधित करते हुए पैराग्राफ 17(iii) को हटाने का आदेश दिया।
मुख्य बिंदु
- अनुच्छेद 17(iii) ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि वह मैतेई को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करे।
- ऐसा कहा जाता है कि इस निर्देश ने राज्य में मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ो समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष को जन्म दिया है।
- सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 1982 और वर्ष 2001 में मैतेई के लिए ST दर्जे पर विचार किया गया और खारिज कर दिया गया
ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया
- राज्य सरकारें जनजातियों को ST की सूची में शामिल करने की सिफारिश करने लगती हैं।
- राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद जनजातीय कार्य मंत्रालय समीक्षा करता है और अनुमोदन के लिए गृह मंत्रालय के अधीन भारत के रजिस्ट्रार जनरल को भेजता है।
- मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजा जाता है और फिर अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाता है।
- एक बार जब कैबिनेट इसे अंतिम रूप दे देती है, तो वह संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश करती है।
- संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा पारित होने के बाद, राष्ट्रपति कार्यालय संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के तहत अंतिम निर्णय लेता है।
प्रीलिम्स टेकअवे
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
- मैतेई

