महाराष्ट्र में हिंदी अनिवार्यता समाप्त
| मुख्य पहलू | विवरण | |------------------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | महाराष्ट्र सरकार ने अनिवार्य हिंदी नियम वापस लिया | | घोषणा की तिथि | 22 अप्रैल 2025 | | घोषणाकर्ता | महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री, दादाजी भुसे | | मुख्य निर्णय | सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के माध्यम से पहले के निर्देश से 'अनिवार्य' शब्द को हटाया गया जिसमें कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य किया गया था। | | त्रि-भाषा सूत्र | एनईपी 2020 के अनुसार जारी है, जिसमें अधिक लचीलापन है। छात्र 3 भाषाएँ चुन सकते हैं, जिनमें से दो मूल भारतीय भाषाएँ होनी चाहिए। | | एनईपी 2020 मार्गदर्शन | संवैधानिक मूल्यों, क्षेत्रीय आकांक्षाओं और बहुभाषावाद पर जोर देता है। हिंदी अनिवार्य नहीं है, लेकिन अंग्रेजी की तरह एक विकल्प बनी हुई है। | | कार्यान्वयन | नए नियम छात्रों की संख्या और भाषा शिक्षकों की उपलब्धता के आधार पर तैयार किए जाएंगे। | | त्रि-भाषा सूत्र विवरण | पहली भाषा: मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा। दूसरी भाषा: गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी या अंग्रेजी, हिंदी भाषी राज्यों में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाएँ या अंग्रेजी। तीसरी भाषा: अंग्रेजी या आधुनिक भारतीय भाषा। | | एनईपी 2020 की मुख्य विशेषताएं | सार्वभौमिक पहुंच, प्रारंभिक बचपन शिक्षा (ईसीसीई), बहुभाषावाद, समावेशी शिक्षा, जीईआर वृद्धि (2035 तक 26.3% से 50%), अनुसंधान पर ध्यान, अंतर्राष्ट्रीयकरण, 6% जीडीपी फंडिंग, परख मूल्यांकन केंद्र, आदि। |

