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महाराष्ट्र ने देसी गायों को दिया 'राजमाता-गौमाता' का दर्जा

महाराष्ट्र ने देसी गायों को दिया 'राजमाता-गौमाता' का दर्जा
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महाराष्ट्र ने देसी गायों को दिया 'राजमाता-गौमाता' का दर्जा

| पहलू | विवरण | |---------------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | महाराष्ट्र सरकार ने देसी गायों को राजमाता-गोमाता का दर्जा प्रदान किया। | | सरकारी प्रस्ताव (GR) | डेयरी विकास विभाग द्वारा पारित। | | दर्जे का दायरा | केवल देसी गायों तक सीमित। | | सरकार का तर्क | | | - गायों का महत्व | भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया गया। | | - संख्या में कमी | देसी गायों की घटती आबादी को संबोधित करने का लक्ष्य। | | - संरक्षण प्राथमिकता | पशुपालकों को देसी नस्लों के प्रजनन और संरक्षण को प्राथमिकता देने का आग्रह। | | हिंदू धर्म में गाय का महत्व | | | - मातृत्व का प्रतीक | हिंदू धर्म में गायों को मातृत्व का प्रतीक माना जाता है। | | - गाय का दूध | इसके पोषण संबंधी लाभों के लिए मूल्यवान। | | - गाय का मूत्र और गोबर | पारंपरिक उपचार प्रथाओं और सतत कृषि में उपयोग किया जाता है। | | देसी गाय के दूध का महत्व | | | - मानव पोषण | मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक। | | - आयुर्वेद | आयुर्वेदिक और पंचगव्य उपचार में प्रयोग किया जाता है। | | - जैविक खेती | गाय का गोबर जैविक खेती के लिए महत्वपूर्ण है। | | पृष्ठभूमि | यह घोषणा महाराष्ट्र राज्य चुनावों से पहले की गई है, जहाँ वर्तमान सरकार का कार्यकाल नवंबर 2024 में समाप्त हो रहा है। |

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