भारत में लैंगिक अंतराल: WEF 2025 रिपोर्ट का विश्लेषण
I. रिपोर्ट की मुख्य बातें
- वैश्विक रैंक: 131/148 (↓ 2024 में 127 से नीचे)
- महत्वपूर्ण कमजोरियां:
- आर्थिक भागीदारी: 143वां
- स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता: गंभीर रूप से निम्न
- मुख्य डेटा:
- 57% महिलाएं (15-49 वर्ष) एनीमिया से पीड़ित (NFHS-5/6)
- महिलाएं पुरुषों की आय का 1/3 कमाती हैं
- 7 गुना अधिक अवैतनिक देखभाल कार्य करती हैं (टाइम यूज़ सर्वे)
- जन्म के समय लिंग अनुपात विषम → पुत्र वरीयता
II. संरचनात्मक चुनौतियां
| क्षेत्र (Domain) | मुख्य मुद्दे (Key Issues) | प्रभाव (Impact) |
|------------------|-----------------------------------------------|-----------------------------------------|
|
| स्वास्थ्य (Health) | • ↓ स्वस्थ जीवन प्रत्याशा <br> • अपर्याप्त प्रजनन स्वास्थ्य सेवा | आर्थिक भागीदारी सीमित होती है |
|
| अर्थव्यवस्था (Economy) | • 19% FLFPR (PLFS 2024) <br> • नेतृत्व में कम प्रतिनिधित्व | जीडीपी हानि: $770 बिलियन (मैकिन्से) |
|
| जनसांख्यिकी (Demography) | • प्रजनन दर प्रतिस्थापन से नीचे <br> • 2050 तक बुजुर्गों की संख्या दोगुनी हो जाएगी | बढ़ती निर्भरता अनुपात |
|
III. मूल कारण
- सांस्कृतिक बाधाएं: गहरी जड़ें जमा चुकी पुत्र वरीयता
- नीति कार्यान्वयन में कमियां:
- अपर्याप्त वित्तपोषित प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा (ग्रामीण महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित)
- अवैतनिक कार्य को जीडीपी लेखांकन से बाहर रखा गया है
- आर्थिक प्रणालियाँ: देखभाल बुनियादी ढांचे की कमी (बाल/वृद्ध देखभाल)
IV. समाधान ढांचा
-
तत्काल:
- एनीमिया मुक्त भारत और पोषण 2.0 को बढ़ाना
- मातृत्व लाभों का सार्वभौमिकरण (सामाजिक सुरक्षा पर संहिता)
-
संरचनात्मक सुधार:
- सवैतनिक पितृत्व अवकाश + सस्ती चाइल्डकेयर (मिशन शक्ति)
- जीडीपी में अवैतनिक कार्य को मान्यता देना (नीति आयोग 2025 प्रस्ताव)
- महिला आरक्षण विधेयक (128वां सीएए) को तेजी से पारित करना
-
दीर्घकालिक:
- सभी योजनाओं में लैंगिक बजट
- जनसांख्यिकीय योजना: उम्र बढ़ने वाले समाज के लिए महिलाओं को कुशल बनाना
-
केस स्टडीज:
- केरल विरोधाभास: उच्च साक्षरता लेकिन FLFPR 25% → शिक्षा ≠ आर्थिक सशक्तिकरण
- एसएचजी सफलता: 83 लाख समूह → महिलाओं की एजेंसी को बढ़ावा (उदाहरण के लिए, कुडुम्बश्री)
उद्धरण (Quote):
"लैंगिक समावेशी विकास के बिना भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश एक जनसांख्यिकीय कर बन जाएगा।"

