भारत के अंतरिक्ष मिशन: चंद्रयान-4 और शुक्र यान
| पहलू | विवरण | |----------------------------|-----------------------------------------------------------------------------| | चंद्रयान-4 मिशन | | | उद्देश्य | चंद्र लैंडिंग और नमूना संग्रह के बाद पृथ्वी पर वापसी के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना। | | लागत | 2,104.06 करोड़ रुपये | | शामिल घटक | अंतरिक्ष यान विकास, दो LVM3 लॉन्च, गहन अंतरिक्ष नेटवर्क समर्थन, विशेष परीक्षण। | | समयसीमा | 36 महीने | | भागीदारी | उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी। | | शुक्र ऑर्बिटर मिशन (VOM) | | | बजट | 1,236 करोड़ रुपये (अंतरिक्ष यान के लिए 824 करोड़ रुपये) | | लॉन्च समयसारणी | मार्च 2028 | | उद्देश्य | शुक्र की सतह, उपसतह और वायुमंडल का अन्वेषण कर उसके विकास का अध्ययन करना। | | कार्यान्वयन एजेंसी | इसरो | | तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति | | | चंद्रयान-4 | डॉकिंग, अनडॉकिंग, लैंडिंग, चंद्र नमूना संग्रह और वापसी का प्रदर्शन करना। | | VOM | शुक्र के विकास पर डेटा प्रदान करना और वैज्ञानिक प्रश्नों का समाधान करना। | | आर्थिक और तकनीकी प्रभाव | | | उद्योग की भागीदारी | भारतीय उद्योगों की महत्वपूर्ण भागीदारी। | | रोजगार के अवसर | नई नौकरियों का सृजन। | | भविष्य के लक्ष्य | 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, 2040 तक मानव को चंद्रमा पर उतारना। | | सहयोग और भविष्य के लक्ष्य | | | सफलता पर निर्माण | चंद्रयान-3 की उपलब्धियों से योगदान। | | शिक्षा जगत की भागीदारी | विज्ञान कार्यशालाओं और चंद्र नमूना विश्लेषण सुविधाओं की स्थापना। |

