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भारत-अमीरात द्विपक्षीय निवेश संधि: विशेषताएं और प्रभाव

भारत-अमीरात द्विपक्षीय निवेश संधि: विशेषताएं और प्रभाव
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भारत-अमीरात द्विपक्षीय निवेश संधि: विशेषताएं और प्रभाव

| मुख्य बिंदु | विवरण | | --- | --- | | चर्चा में क्यों? | भारत ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए UAE के साथ 31 अगस्त 2024 से प्रभावी एक द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर हस्ताक्षर किए। विदेशी निवेशकों के लिए मध्यस्थता अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। यह संधि शेयरों और बॉन्ड्स जैसे पोर्टफोलियो निवेशों को भी कवर करती है। | | मध्यस्थता अवधि में कमी | अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए मध्यस्थता अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। | | विस्तारित निवेश सुरक्षा | यह संधि शेयरों, बॉन्ड्स और अन्य पोर्टफोलियो निवेशों को शामिल करती है, जो निवेशकों को व्यापक सुरक्षा प्रदान करती है। | | निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS) | ISDS तंत्र को निवेशकों और राज्य के बीच विवादों को सुलझाने के लिए एक स्वतंत्र मंच प्रदान करने के लिए शामिल किया गया है। | | FDI के स्रोत के रूप में UAE | UAE भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का सातवां सबसे बड़ा स्रोत है, जो कुल FDI प्रवाह का 3% योगदान देता है। |

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