भारत का ISS पर पहला जैविक प्रयोग
| पहलू | विवरण | |---------------------------------|-----------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत के पहले जैविक प्रयोग | | मिशन | एक्सिओम-4 मिशन | | घोषणा की तिथि | 16 मई, 2025 | | सहयोगी एजेंसियां | इसरो और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) | | नीतिगत ढाँचा | बायोई3 नीति (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) | | मुख्य उद्देश्य | - अंतरिक्ष में मानव जीवन समर्थन प्रणालियों का आकलन करना<br>- टिकाऊ खाद्य स्रोतों का पता लगाना<br>अंतरिक्ष में बायोमैन्युफैक्चरिंग को आगे बढ़ाना | | प्रयोग | 1. सूक्ष्म शैवाल प्रयोग<br>- सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में विकास का अध्ययन<br>- पोषक स्रोत के रूप में खाद्य सूक्ष्म शैवाल पर ध्यान केंद्रित<br>2. सायनोबैक्टीरिया प्रयोग<br>- स्पिरुलिना और साइनोकोकस की वृद्धि और प्रोटिओमिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन<br>- यूरिया- और नाइट्रेट-आधारित मीडिया का उपयोग करें | | महत्व | - भारत के अंतरिक्ष जैव विज्ञान को मजबूत करता है<br>- गगनयान और भविष्य की मानव अंतरिक्ष उड़ानों का समर्थन करता है<br>- अंतरिक्ष में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है<br>- अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भरता के साथ संरेखित |

