चीन के रेयर अर्थ निर्यात प्रतिबंध से भारत की EV योजनाएँ प्रभावित
| विषय | विवरण | |-----------------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | चीन ने दुर्लभ मृदा तत्वों (Rare Earth Elements - REEs) के निर्यात पर अंकुश लगाया, जो इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे भारत की EV आत्मनिर्भरता प्रभावित हो रही है। | | प्रमुख प्रभावित धातुएं | नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम, समैरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, ल्यूटेटियम, स्कैंडियम। | | चीन की भूमिका | वैश्विक REE आपूर्ति का 85-95% संसाधित करता है। 1990 के दशक से खनन, परिशोधन (Refining) और मूल्य निर्धारण को नियंत्रित करता है। | | भारत की निर्भरता | 2024 में चीन से 7 अरब डॉलर से अधिक के दुर्लभ मृदा तत्व और EV बैटरी का आयात करता है। | | घरेलू भंडार | भारत के पास 6.9 मिलियन टन REE भंडार हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर परिशोधन अवसंरचना (Refining Infrastructure) का अभाव है। | | उद्योग पर प्रभाव | भारत के EV उद्योग में उत्पादन में देरी, लागत में वृद्धि और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में रुकावट की आशंका है। | | नीतिगत कदम | आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने REE को एक महत्वपूर्ण भेद्यता के रूप में चिह्नित किया। सरकार ने लिथियम और दुर्लभ मृदा तत्वों को प्राथमिकता देते हुए "महत्वपूर्ण खनिज सूची" जारी की। वैश्विक खनिज संपत्ति हासिल करने के लिए KABIL का गठन। | | घरेलू क्षमता | IREL ने 2023 में केवल 10,000 टन संसाधित किया; चीन ने 200,000+ टन संसाधित किया। | | पुनर्चक्रण प्रयास | शहरी खनन और ई-कचरा पुनर्चक्रण का आग्रह किया गया। ई-कचरा क्षेत्र को औपचारिक रूप देने से REE निष्कर्षण में मदद मिल सकती है और आयात कम हो सकता है। | | वैश्विक संदर्भ | अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान भी चीन पर निर्भरता का सामना कर रहे हैं। जापान ने विविधीकरण, पुनर्चक्रण और भंडारण द्वारा 90% (2010) से 60% (2023) तक निर्भरता कम की। | | प्रस्तावित समाधान | खनन, परिशोधन और पुनर्चक्रण में निवेश में तेजी लाना। पीपीपी मॉडल, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देना। एक रणनीतिक भंडार विकसित करना और लचीली आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना। |

