केरल सरकार ने विधेयकों को आरक्षित करने के संबंध में राज्यपालों के लिए दिशानिर्देश मांगे
- केरल ने विधेयकों के आरक्षण के मामले में राज्यपाल के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है
मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट में केरल ने 7 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया
- केरल ने बताया कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य विधानमंडल द्वारा पारित आठ विधेयकों को तीन साल तक भी रोक कर रखे हुवे है।
- बाद में, राज्यपाल ने आठ में से सात विधेयकों को प्रत्येक की जांच किए बिना और यह बताए बिना कि उन्हें आरक्षित रखना क्यों आवश्यक था, राष्ट्रपति के विचार के लिए भेज दिया।
अनुच्छेद 200
- यह निर्धारित करता है कि राज्यपाल विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने, सहमति रोकने या यथाशीघ्र विधानसभा को वापस करने के विकल्प का प्रयोग कर सकता है।
अनुच्छेद 201
- इसमें कहा गया है कि जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित होता है, तो राष्ट्रपति उस विधेयक पर सहमति दे सकते हैं या उस पर सहमति रोक सकते हैं।
- राष्ट्रपति राज्यपाल को विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य के विधानमंडल के सदनों या सदनों को वापस करने का निर्देश भी दे सकता है।
हालिया उदाहरण
- तमिलनाडु के राज्यपाल ने काफी देरी के बाद राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) से छूट का विधेयक राष्ट्रपति को भेज दिया।
- केरल में राज्यपाल ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह लोकायुक्त संशोधन विधेयक और केरल विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं देंगे।
प्रीलिम्स टेकअवे
- अनुच्छेद 200
- अनुच्छेद 201

