EPFO ने "कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने" हेतु नया सर्वेक्षण शुरू किया
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने "कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने" पर एक नया सर्वेक्षण शुरू किया है।
मुख्य बिंदु
- सर्वेक्षण में इस बात पर भी जवाब मांगा गया है कि क्या पुरुष और महिला श्रमिकों के लिए 'समान काम के लिए समान वेतन' है, साथ ही महिलाओं के लिए फ्लेक्सिबल या दूरस्थ कार्य घंटों की उपलब्धता पर भी सवाल उठाया गया है।
- EPFO द्वारा देश भर में अपने लगभग 30 करोड़ ग्राहकों के साथ सर्वेक्षण प्रश्नावली साझा की गई है।
- नियोक्ता रेटिंग सर्वेक्षण श्रम और रोजगार मंत्रालय और WCD मंत्रालय द्वारा "विकसित भारत के लिए कार्यबल में महिलाएं" कार्यक्रम में लॉन्च किया गया था।
- आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में सुधार हुआ है, लेकिन इसमें से अधिकांश वृद्धि अवैतनिक कार्य श्रेणी में देखी गई है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, महिला भागीदारी दर वर्ष 2017-18 में 17.5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 27.8 प्रतिशत हो गई।
- लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा उन महिलाओं का है जिन्हें "घरेलू उद्यमों में सहायक" के रूप में बताया गया है, जिन्हें अपने काम के लिए कोई नियमित वेतन नहीं मिलता है।
- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, महिला LFPR 2017-18 में 11.80 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 8.73 प्रतिशत हो गई।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिला LFPR वर्ष 2017-18 में 12.16 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 9.68 प्रतिशत हो गई।
- जबकि शहरी क्षेत्रों में यह वर्ष 2017-18 में 11.10 प्रतिशत से कम होकर वर्ष 2022-23 में 6.90 प्रतिशत हो गया।
- वैश्विक स्तर पर, दक्षिण एशिया क्षेत्र में वर्ष 2022 में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर 26 प्रतिशत थी
- विश्व बैंक के अनुसार भारत के पड़ोसी देशों में महिला LFPR पंजीकृत है
- श्रीलंका में 33 प्रतिशत
- पाकिस्तान में 25 प्रतिशत
- नेपाल में 29 प्रतिशत
- बांग्लादेश में 38 प्रतिशत
- चीन में 61 प्रतिशत
प्रीलिम्स टेकअवे
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