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1960 के दशक में भारत में पांच राज्यों का आर्थिक वर्चस्व

1960 के दशक में भारत में पांच राज्यों का आर्थिक वर्चस्व
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1960 के दशक में भारत में पांच राज्यों का आर्थिक वर्चस्व

| पहलू | विवरण | |-------------------------------------|----------------------------------------------------------------------------| | पांच प्रमुख राज्य (1960 के दशक) | उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार ने ~54% GDP का योगदान दिया। | | उत्तर प्रदेश का GDP योगदान (1960) | भारत की GDP का 14.4%। | | उत्तर प्रदेश की GSDP वृद्धि (2022-23)| 8.3%, जो 2021-22 के 10.2% से कम है। | | राष्ट्रीय GDP वृद्धि (2022-23) | अनुमानित 7.2%। | | उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय वृद्धि (2022-23)| कृषि: 10%, विनिर्माण: 22%, सेवाएं: 12%। | | क्षेत्रीय योगदान (उत्तर प्रदेश) | कृषि: 24%, विनिर्माण: 30%, सेवाएं: 46%। | | उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति GSDP (2022-23)| ₹96,193 (मौजूदा मूल्य), 2017-18 से 8% वार्षिक वृद्धि के साथ। | | GSDP वृद्धि दर (2012-2022) | -5.5% (2020-21) से 11.4% (2016-17) के बीच रही। | | उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय GDP में हिस्सा| 8.4% (2016-17) से घटकर 7.9% (2021-22) हो गया। | | प्रति व्यक्ति आय अंतर (उत्तर प्रदेश बनाम भारत)| उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 50% (2011-12) से घटकर 45.87% (2021-22) हो गई। | | अनुमानित GSDP (2026-27) | ₹42.5 लाख करोड़ (बहुत उच्च), ₹35.8 लाख करोड़ (उच्च), ₹32.2 लाख करोड़ (मध्यम), ₹30 लाख करोड़ (सामान्य)। | | EAC-PM | गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक निकाय जो प्रधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देता है। | | EAC-PM की नोडल एजेंसी | NITI Aayog। | | EAC-PM की रिपोर्ट्स | वार्षिक आर्थिक परिदृश्य, अर्थव्यवस्था की समीक्षा। |

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