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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: कौमार्य परीक्षण अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: कौमार्य परीक्षण अनुच्छेद 21 का उल्लंघन
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: कौमार्य परीक्षण अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

| पहलू | विवरण | |--------------------------|---------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जबरन कौमार्य परीक्षण के खिलाफ फैसला सुनाया। | | मुख्य फैसला | कौमार्य परीक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। | | अनुच्छेद 21 | जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार प्रदान करता है। | | पृष्ठभूमि | याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी का कौमार्य परीक्षण कराने की मांग की, जिसमें उसने अवैध संबंध का आरोप लगाया। | | न्यायालय का फैसला | किसी भी महिला को जबरन कौमार्य परीक्षण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। | | उल्लंघन | ऐसे परीक्षण प्राकृतिक न्याय और महिला की गरिमा का उल्लंघन करते हैं। | | अनुच्छेद 21 का दायरा| यह हर व्यक्ति, नागरिक और विदेशी को समान रूप से उपलब्ध है। | | मामले के नियम | एके गोपालन मामला (1950): अनुच्छेद 21 का संकीर्ण दायरा। | | | मनेका गांधी बनाम भारत संघ (1978): व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विस्तारित दायरा। |

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