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पूर्वोत्तर भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर नामांकन: चराईदेव मैदाम

पूर्वोत्तर भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर नामांकन: चराईदेव मैदाम
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पूर्वोत्तर भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर नामांकन: चराईदेव मैदाम

| पहलू | विवरण | |---------------------------|-------------------------------------------------------------------------------------------------| | घटना | चराइदेउ मैदाम को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के दर्जे के लिए नामित किया गया। | | घोषणा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में घोषित। | | तिथियाँ | 21-31 जुलाई, 2024 | | स्थान | चराइदेउ, असम, भारत | | श्रेणी | सांस्कृतिक धरोहर | | मकबरों की संख्या | 90 शाही दफन मकबरे | | ऐतिहासिक काल | 13वीं से 18वीं शताब्दी | | महत्व | अहोम राजाओं और राजपरिवार के लिए दफन स्थल; असमिया संस्कृति का प्रतीक। | | वर्तमान धरोहर स्थल | भारत के 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं; चराइदेउ 43वां स्थल होगा यदि स्वीकृत होता है। | | असम के अन्य स्थल | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान (प्राकृतिक श्रेणी)। | | नामांकन संदर्भ | भारत के 52 स्थलों में से चयनित; अहोम जनरल लचित बरफुकन की 400वीं जयंती के साथ मेल। | | सांस्कृतिक संदर्भ | असम के पिरामिड के रूप में जाने जाते हैं। |

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