क्या हिरासत में रहते हुए भी केजरीवाल सीएम बने रह सकते हैं?
- इस बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद भी ऐसे सार्वजनिक पद पर बने रह सकते हैं जो उच्च स्तर की नैतिकता की मांग करता है।
मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में पहले के निर्णयों से यह निष्कर्ष निकला है कि संवैधानिक नैतिकता, सुशासन और संवैधानिक विश्वास सार्वजनिक पद संभालने के लिए बुनियादी मानदंड हैं।
- एस रामचंद्रन बनाम वी सेंथिलबालाजी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया फैसले में अदालत में दी गई दलीलों का उल्लेख किया गया है
- क्या किसी मंत्री पर "वित्तीय घोटाले" का आरोप लगने पर उसे उच्च स्तर की नैतिकता की मांग करने वाले सार्वजनिक पद पर रहने का अपना अधिकार खो देना चाहिए।
- तमिलनाडु के एक पूर्व मंत्री को पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ED ने गिरफ्तार किया था।
- न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान भी वह बिना विभाग के मंत्री बने रहे।
- दलीलों में मनोज नरूला बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की वर्ष 2014 की संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया गया
- जिसने माना था कि सार्वजनिक पद संभालने का मूल मानदंड संवैधानिक नैतिकता है, यानी कानून के शासन के विपरीत कार्य करने से बचना।
- उच्च न्यायालय ने कहा था, "राजनीतिक मजबूरी सार्वजनिक नैतिकता, अच्छे/स्वच्छ शासन की आवश्यकताओं और संवैधानिक नैतिकता को ताक पर नहीं रख सकती।"
प्रीलिम्स टेकअवे
- ED
- मुख्यमंत्री

