आगामी जनगणना में जाति गणना शामिल
| मुख्य पहलू | विवरण | |----------------------------------------------|--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------| | निर्णय | राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आगामी जनगणना में जाति-आधारित जनगणना को शामिल करने का निर्णय लिया। | | संवैधानिक आधार | जनगणना अनुच्छेद 246 के तहत संघीय विषय है, जो सातवीं अनुसूची में 69वें स्थान पर सूचीबद्ध है। | | जाति पर राज्य सर्वेक्षण | कुछ राज्यों ने जाति सर्वेक्षण किए, लेकिन उनमें पारदर्शिता की कमी थी और उनके उद्देश्य अलग-अलग थे। | | राजनैतिक प्रभाव | कुछ सर्वेक्षण राजनीतिक रूप से प्रेरित थे, जिससे सामाजिक अस्पष्टता पैदा हुई। | | उद्देश्य | यह सुनिश्चित करना कि सामाजिक ताना-बाना राजनीतिक दबाव से मुक्त रहे और सामाजिक-आर्थिक शक्ति बनी रहे। | | आरक्षण संदर्भ | आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण से किसी भी समुदाय में तनाव पैदा नहीं हुआ। | | ऐतिहासिक संदर्भ | स्वतंत्रता के बाद से सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। | | 2010 के घटनाक्रम | पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा को जाति-आधारित जनगणना पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बजाय SECC को चुना। | | राजनीतिक दलों का रुख | अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति-आधारित जनगणना की सिफारिश की। |

