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साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 से बंगाली साहित्य को बाहर किया गया

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 से बंगाली साहित्य को बाहर किया गया
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साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 से बंगाली साहित्य को बाहर किया गया

| पहलू | विवरण | |---------------------------------|-----------------------------------------------------------------------------| | घटना | साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 में बांग्ला साहित्य का बहिष्कार | | खबरों में क्यों? | बहिष्कार के कारण पश्चिम बंगाल के साहित्यिक हलकों में विवाद। | | मुख्य बिंदु | | | बांग्ला साहित्य का बहिष्कार | - 2024 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बावजूद बांग्ला साहित्य को बाहर रखा गया। <br> - 52 वर्षों में पहली बार बांग्ला लेखकों को पुरस्कार से वंचित किया गया। <br> - साहित्य अकादमी ने "तकनीकी समस्याओं" को कारण बताया। <br> - पश्चिम बंगाल प्रजातांत्रिक लेखक कलाकार संघ ने स्पष्टीकरण मांगा। | | आरटीआई आवेदन | - पत्रकार और साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य ने पारदर्शिता के लिए आरटीआई आवेदन दायर किया। <br> - आरटीआई में बांग्ला नामांकित लेखकों, निर्णायक मंडल के सदस्यों और निर्णय संबंधी दस्तावेजों का विवरण मांगा गया। | | पूर्व में बहिष्कार | बांग्ला साहित्य को पहले 1960, 1968 और 1973 में भी बाहर रखा गया था। | | साहित्य अकादमी पुरस्कार | | | परिचय | - उपन्यास, कविता, निबंध और नाटक जैसी श्रेणियों में साहित्यिक योगदान को सम्मानित किया जाता है। <br> - ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत का दूसरा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान<br> - इसकी स्थापना 1954 में संस्कृति मंत्रालय के तहत हुई। | | पात्रता | - 24 भाषाओं (22 आठवीं अनुसूची + अंग्रेजी + राजस्थानी) में लिखित कार्यों के लिए पुरस्कार। <br> - लेखक भारतीय नागरिक होना चाहिए। | | पुरस्कार विजेता | प्रदत्त सामग्री में उल्लेख नहीं है। |

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